उत्तराखंड

पेयजल निगम में वरिष्ठता का निर्धारण मैरिट के स्थान पर आरक्षण रोस्टर के आधार पर किये जाने के नियम विरूद्ध निर्णय का उत्तराखण्ड जनरल ओ0बी0सी0 इम्पलाईज ऐसोसिऐशन ने किया कड़ा विरोध

देहरादून।उत्तराखंड में पहली बार कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची मैरिट के बजाए आरक्षण के रोस्टर के अनुसार निर्धारित की गई है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पेयजल निगम ने जेई की वरिष्ठता सूची आरक्षण के रोस्टर के अनुसार तय की है। अब अन्य महकमों में भी जल्द यह प्रक्रिया शुरू हो सकती है। जल निगम के जूनियर इंजीनियर सुनील कुमार ने नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता देने की मांग की थी। जबकि, विभाग ने ज्येष्ठता नियमावली के तहत वरिष्ठता तय की थी।

हाईकोर्ट में फैसला सुनील कुमार के पक्ष में आया। दूसरे इंजीनियरों ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठता, भर्ती के लिए तय आरक्षण के रोस्टर के अनुसार निर्धारित करने का फैसला दे दिया। फैसला लागू नहीं करने पर अवमानना याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर जल निगम को नोटिस जारी किया तो आरक्षण के रोस्टर के आधार पर नई वरिष्ठता सूची जारी की।

अन्य विभागों में उठेगी रोस्टर की मांग

पेयजल जल निगम में वरिष्ठता का नया नियम लागू होने से आरक्षित श्रेणी के कर्मचारी दूसरे महकमों में भी यही नियम लागू करने की मांग उठाएंगे। जल निगम में ही दूसरे संवर्ग के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने वरिष्ठता में आरक्षण रोस्टर लागू करने की मांग शुरू कर दी है।

वरिष्ठता का पहला पद एससी को: उत्तराखंड में अभी तक सिर्फ भर्ती के दौरान ही आरक्षण रोस्टर लागू होता है। इसे अब वरिष्ठता में भी लागू कर दिया है। नए नियम के अनुसार अब वरिष्ठता का पहला पद अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी को मिलेगा। भले ही वह मैरिट में कितना भी नीचे हो। दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवां पद सामान्य, छठा पद एससी, सातवां पद ओबीसी, आठ, नौ, दस सामान्य, ग्यारहवां पद एससी को मिलेगा।

प्रभावित इंजीनियरों ने बनाया नया समूह

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित इंजीनियरों ने पेयजल प्रभावित अभियंता समिति का गठन कर लिया है। समिति ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।

इस तरह सीनियर से हो गए जूनियर

जेई दौलत राम सेमवाल पुरानी वरिष्ठता सूची में 18 वें नंबर थे। अब वे 25वें नंबर पर हैं।सुभाष चंद्र भट्ट 15 से 22 वें नंबर पर खिसक गए हैं।

जीतमणि बेलवाल आठ से दस, भजन सिंह चौहान 84 से 113 और अनिल कुमार शर्मा वरिष्ठता सूची में 120 से 143 पर पहुंच गए।राजवीर सिंह राणा नया नियम लागू होने से 100 से 114 नंबर पर खिसक गए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के क्रम में नई वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई है। वरिष्ठता सूची कोर्ट के अनुसार मैरिट के बजाए आरक्षण के रोस्टर के आधार पर तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट में जवाब भी दाखिल कर दिया गया है।
नितेश झा, सचिव पेयजल

कोर्ट के आदेश का पालन जिस तरह किया जा रहा है, उससे उत्तराखंड सरकार की नीतियों का उल्लंघन हो रहा है। बिना कार्मिक विभाग के संज्ञान में लाए, राज्य की कार्मिक नीति का उल्लंघन करना सही नहीं है। इसके खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।सुभाष सुंदरियाल, संयोजक पेयजल अभियंता समिति

पेयजल निगम में वरिष्ठता का निर्धारण मैरिट के स्थान पर आरक्षण रोस्टर के आधार पर किये जाने के नियम विरूद्ध निर्णय का उत्तराखण्ड जनरल ओ0बी0सी0 इम्पलाईज ऐसोसिऐशन कड़ा विरोध करता है। सचिव पेयजल विभाग ने कार्मिक विभाग द्वारा स्थापित वरिष्ठता निर्धारण के मानकों के विपरीत कार्मिक विभाग की विषयवस्तु एवं अधिकारिता क्षेत्र का अतिक्रमण किया है, विभागीय वरिष्ठता निर्धारण हेतु कार्मिक विभाग द्वारा नियम व शर्ते निर्धारित हैं, मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्णय को सक्षम स्तर पर पुर्नविचार याचिका के माध्यम से संशोधित कराये जाने के बजाय एकाएक आनन-फानन में इस तरह के नियम विरूद्ध निर्णय प्रतिपादित करना संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का भी स्पष्ट उल्लंघन है। वरिष्ठता निर्धारण आरक्षण रोस्टर के आधार पर किये जाने के तुगलकी फरमान व निर्णय का प्रदेश का सामान्य ओ0बी0सी0 वर्ग कड़ा विरोध करता है, इस कड़ी में शीघ्र ही सचिव कार्मिक, मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री से मिलकर अपना प्रभावी पक्ष रखा जायेगा तथा पेयजल निगम में लिये गये इस अवैधानिक एवं एकतरफा निर्णय का पूर्ण रूप से विरोध दर्ज किया जायेगा, इस सम्बन्ध में एसो0 जल्दी ही अपनी अधिकारिक बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगा।

दीपक जोशी, प्रान्तीय अध्यक्ष
विरेन्द्र सिंह गुसाईं, प्रान्तीय महासचिव
उत्तराखण्ड जनरल ओ0बी0सी0 इम्पलाईज एसोसिऐशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *