क्राइम

उत्तराखंड डीजीपी ने लगाई अधिकारियों की क्लास,कही ये बात

देहरादून।राजधानी देहरादन की बिगड़ती कानून व्यवस्था से खफा डीजीपी अशोक कुमार ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर दून पुलिस के अधिकारियों की अलग से क्लास लगाई। उन्होंने कहा कि अपराधियों में पुलिस का डर खत्म हो रहा है। इस खौफ को बनाए रखने के लिए सख्ती बढ़ानी पड़ेगी। सख्ती ऐसी हो कि कोई भी अपराध करने से पहले 100 बार पुलिस के बारे में सोचे। बाहर के बदमाश राजधानी में शरण न लेने पाएं और अगर यहां आ भी गए तो बचने न पाएं।

फील्ड में दिखें अधिकारी और कर्मचारी

डीजीपी ने कहा कि जिले के अधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा फील्ड में रहना होगा ताकि आपराधिक मानसिकता वाले लोगों में पुलिस का डर बना रहे। इससे स्ट्रीट क्राइम पर रोक लगेगी और भविष्य में कानून व्यवस्था मजबूत रहेगी। सीमाओं पर चौकसी बरती जाए।

अपराधियों की आर्थिकी पर चोट हो

पिछले पांच वर्षों में जिन लोगों पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई है उनका ब्योरा इकट्ठा करने के निर्देश भी डीजीपी ने दिए। उन्होंने कहा कि इन गैंगस्टर की संपत्तियों को जब्त करने के लिए कार्रवाई करें ताकि उनकी आर्थिकी पर चोट की जा सके। अनैतिक कार्यों से बनाई उनकी संपत्ति हर हाल में जब्त होनी चाहिए। इसके साथ ही ड्रग माफिया की संपत्तियों को भी जब्त करने की कार्रवाई की जाए।

सीमाओं पर चौकसी के लिए एक कंपनी पीएसी और मिलेगी

जिले की सीमाओं पर पीएसी का पहरा रहता है। इसके लिए देहरादून पुलिस को चार कंपनी पीएसी आवंटित की गई है। जिले में फोर्स की कमी को देखते हुए डीजीपी ने जिला पुलिस को एक कंपनी पीएसी और आवंटित करने के निर्देश दिए ताकि सीमाओं पर सघन चेकिंग हो सके।

ट्रैफिक जाम कम करने के उपाय किए जाएं

डीजीपी ने राजधानी में यातायात की समस्या को भी गंभीर विषय माना। उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसे उपाय करने चाहिए कि राजधानी में जाम न लगे। इसके लिए हितधारकों के साथ विस्तृत प्लान तैयार किया जाए। मौजूदा संसाधन में बढ़ोतरी करने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजेें।

आंदोलन करने वालों पर मुकदमों तक सीमित न रहा जाए

डीजीपी ने कहा कि आंदोलन करने वालों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है। लेकिन, ये धाराएं गिरफ्तारी वाली नहीं होती हैं। पुलिस केवल मुकदमा दर्ज कर इसे भूल जाती है। लेकिन, पुलिस अधिकारियों को इसका आगे भी फॉलोअप करना चाहिए। कोर्ट से उनके वारंट हासिल किए जाएं ताकि भविष्य में उनमें भी कानून का डर रहे।

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