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ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर कही ये बात

लंदन।प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने के 100 दिन पूरे होने पर एक टेलीविजन साक्षात्कार में ऋषि सुनक ने कहा कि मेरा काम मेरे लिए यह कर्तव्य की तरह है। हिंदू धर्म में एक अवधारणा है जिसे धर्म कहा जाता है, जो मोटे तौर पर कर्तव्य में तब्दील हो जाता है और इसी के तहत मेरा पालन-पोषण हुआ है। यह उन चीजों को करने के बारे में है, जो आपसे अपेक्षित है और सही काम करने की कोशिश करना है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पिछले साल राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 10 डाउनिंग स्ट्रीट में शीर्ष पद संभालने के पीछे अपनी प्रेरणा को अपना “धर्म” बताया है। ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने के 100 दिन पूरे होने पर अपने डाउनिंग स्ट्रीट होम में ‘टॉक टीवी’ की होस्ट पियर्स मॉर्गन के साथ एक टेलीविजन साक्षात्कार में यह बात कही। उनसे पूछा गया कि जीवन-यापन के गंभीर संकट और उनके पूर्ववर्ती लिज ट्रस के प्रधानमंत्री के रूप में केवल 45 दिनों के सबसे छोटे कार्यकाल के बीच उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए क्या करना पड़ा।

हिंदू धर्म को ताकत देने पर जोर

42 वर्षीय सुनक ने हाउस ऑफ कॉमन्स में संसद सदस्य चुने जाने पर भगवद गीता पर हाथ रखकर अपनी निष्ठा की शपथ ली थी। उन्होंने अक्सर अपने हिंदू धर्म को ताकत देने पर जोर दिया है।राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के डॉक्टर यशवीर और फार्मासिस्ट उषा के ब्रिटेन में जन्मे बेटे सुनक ने अपने परिवार के साथ नियमित रूप से मंदिर जाने की बात भी बताई थी और पिछले साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने जन्माष्टमी के दिन आशीर्वाद लेने के लिए लंदन के बाहरी इलाके में स्थित एक कृष्ण मंदिर की यात्रा करने के लिए समय निकाला था।

काम मेरे लिए कर्तव्य की तरह है: सुनक

इसके जवाब में सुनक ने कहा कि मेरे लिए मेरा काम कर्तव्य की तरह है। हिंदू धर्म में एक अवधारणा है जिसे धर्म कहा जाता है, जो मोटे तौर पर कर्तव्य में तब्दील हो जाता है और इसी के तहत मेरा पालन-पोषण हुआ है। यह उन चीजों को करने के बारे में है, जो आपसे अपेक्षित है और सही काम करने की कोशिश करना है।

मुझे लगा कि मैं परिवर्तन ला सकता हूं: सुनक

उन्होंने कहा कि भले ही यह एक बुरे सपने की तरह होने वाला था, लेकिन मुझे लगा कि मैं एक परिवर्तन ला सकता हूं और उस समय बदलाव लाने के लिए मैं सबसे अच्छा व्यक्ति था। विशेष रूप से उन चुनौतियों को देखते हुए जिसका लोग सामना कर रहे थे और यही कारण है कि आखिरकार मैंने इसे करने के लिए खुद को आगे रखा, यह जानते हुए कि यह कठिन और चुनौतीपूर्ण होगा, अंततः मैंने तय किया कि इस स्थिति में मेरा कर्तव्य क्या है। मुझे लोगों की सेवा में गहरा विश्वास है और मुझे लगता है कि मैं देश में बदलाव ला सकता हूं।

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