राजनीति

यूपी में अब ट्रिपल इंजन सरकार, शहरों में भाजपा का दबदबा कायम

लखनऊ।नगर निगम चुनाव में भाजपा ने जहां विपक्षी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया, वहीं सपा ने आधी सीटों पर मुख्य लड़ाई में रहकर अपने वजूद का अहसास भी कराया। वर्ष 2017 के नगर निगम चुनाव के लिहाज से देखें तो इस बार कांग्रेस और भी नीचे चली गई। बसपा भी मात्र चार ही सीटों पर सत्ताधारी दल को सीधे टक्कर दे सकी। अलबत्ता, मेरठ में ओवैसी की पार्टी का प्रदर्शन सपा के लिए जरूर चिंता का सबब है। लेकिन यूपी में अब ट्रिपल इंजन सरकार है और शहरों में भाजपा का दबदबा कायम है।

मेयर के चुनाव में सपा के प्रत्याशी लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और अयोध्या जैसी अहम सीटों के अलावा अलीगढ़, प्रयागराज, फिरोजाबाद और कानपुर में दूसरे स्थान पर रहे। बरेली में भी सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी ही दूसरे स्थान पर रहे। इस तरह से सपा कुल नौ सीटों पर दूसरे स्थान पर रही, वहीं 2017 के मेयर चुनाव में सपा 5 सीटों लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, बरेली और अयोध्या में दूसरे स्थान पर रही थी।

मेयर चुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस को लेकर यूपी के मतदाता कोई खास आशांवित नहीं है। हालांकि, मुरादाबाद में उसका प्रत्याशी काफी कम 3589 मतों के अंतर से हारा, पर वहां के अलावा कांग्रेस झांसी और नव गठित नगर निगम शाहजहांपुर में ही दूसरे स्थान पर रहा। जबकि, पिछले चुनाव में कांग्रेस 5 नगर निगम क्षेत्रों गाजियाबाद, मथुरा, कानपुर, वाराणसी और मुरादाबाद में दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार मथुरा में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को सपा ने भी अपना समर्थन दिया था, पर वहां दूसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी रहा। मेरठ में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी के टक्कर में आने के स्पष्ट राजनीतिक संकेत हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का पढ़ा-लिखा मतदाता इस विकल्प पर भी विचार कर रहा है।

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