जल निगम-जल संस्थान संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव और पेयजल सचिव से की मुलाक़ात
जल निगम-जल संस्थान संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों द्वारा आज दिनांक 18.06.2024 को श्रीमती राधा रतुड़ी, मुख्य सचिव एवं श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिव (पेयजल) से वार्ता
आज दिनांक 18.06.2024 जल निगम जल संस्थान संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों के द्वारा पहले दौर की वार्ता मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी से हुई। मोर्चे के संयोजक श्री रमेश विंजोला द्वारा बताया गया कि एक सकारात्मक वार्ता मुख्य सचिव महोदया से की गई जिसमें मुख्य सचिव महोदया ने वास्तव में उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर इस बात को स्वीकार किया कि उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान का राजकीयकरण होना आवश्यक है जिससे कि उत्तराखण्ड की जनता को सुचारू रूप से पेयजल की व्यवस्था की जा सके। वार्ता में यह भी तय किया गया कि जब तक दोनों विभागों का राजकीयकरण किया जाता है तब तक कार्मिकों को वेतन/पेंशन कोषागार से दिया जाये। इस हेतु उनके द्वारा दूरभाष पर पेयजल सचिव से वार्ता कर विषय को तुरंत से वित्त एवं केबिनेट में लिये जाने की बात की गई।
उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा कोषागार से वेतन/पेंशन आहरित किये जाने हेतु दोनों विभागों से समिति के माध्यम से सहमति मांगी गई थी जिसमें उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान के प्रबन्धन द्वारा अपनी सहमति शासन को दे दी गई है। मोर्च के संयोजक श्री विजय खाली द्वारा बताया गया कि देश के अधिकांश राज्यों में पेयजल एवं सीवरेज व्यवस्था हेतु राजकीय एकीकृत विभाग स्थापित है जबकि उत्तराखण्ड राज्य में पेयजल / सीवरेज की बहुल व्यवस्था होने के कारण जहां एक ओर विभागों में आपसी सामान्जस्य होने का अभाव है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के आम जनमानस में भी भ्रम की स्थिति रहती है कि पेयजल/सीवरेज योजना के निर्माण/ क्रियान्वयन / रखरखाव हेतु किस विभाग (पेयजल निगम / जल संस्थान) से सम्पर्क किया जाये। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1974 तक तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य में पेयजल एवं स्वच्छता हेतु स्वायत्त शासन अभियन्त्रण विभाग के नाम से राजकीय विभाग ही था जिसे तत्समय बाह्य साहयतित परियोजना विशेष हेतु निगम में परिवर्तित किया गया था। वर्तमान में बाह्य सहायतित योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु निगम / संस्थान होने की बाध्यता नाहीं है। अतः जनहित में उत्तराखण्ड पेयजल निगम व उत्तराखण्ड जल संस्थान का राजकीयकरण किया जाना ही सर्वोत्तम विकल्प है।
मोर्चे के पदाधिकारियों द्वारा दूसरी दौर की वार्ता पेयजल सचिव श्री अरविन्द सिंह हह्यांकी से की गई। यह वार्ता भी सकारात्मक रही जिसमें पेयजल सचिव द्वारा दोनों विभागों के राजकीयकरण हेतु अथक प्रयास किया जा रहा है। पेयजल सचिव द्वारा भी स्पष्ट कहा गया कि सहमति प्राप्त होने पर यह विषय तुरंत से वित्त एवं केबिनेट में पहुंचाया जायेगा। पेयजल सचिव द्वारा उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान के प्रबन्ध तंत्र को स्पष्ट किया कि तुरंत से इसपर कार्यवाही कर मोर्चे के प्रस्तावित आंदोलन दिनांक 21.06.2024 को स्थगित किये जाने का अनुरोध मोर्चे से किया जायेगा।
मोर्चे के संयोजक श्री विजय खाली द्वारा बताया गया कि अगर शासन में हुई सकारात्मक वार्ता के अनुसार अगर विषय को शीघ्र वित्त/केबिनेट में लिया जाता है तो दिनांक 20.06.2024 को मोर्चे की बैठक में दिनांक 21.06.2024 से प्रस्तावित आंदोलन के विषय पर संशोधन किया जा सकता है।
वार्ता में सम्मिलित मोर्चे के पदाधिकारियों की उपस्थिति:-
1 श्री जितेन्द्र सिंह देव मुख्य संयोजक
2. श्री रमेश बिंजोला संयोजक
3. श्री विजय खाली संयोजक
4-श्री श्याम सिंह नेगी गढ़वाल संयोजक
5. श्री शिशुपाल सिंह रावत गढ़वाल संयोजक
6. श्री लक्ष्मी नारायण भट्ट गढ़वाल संयोजक
7. श्री संदीप मल्होत्रा मीडिया प्रभारी