उत्तराखंड पेयजल निगम में मुख्यालय स्तर पर निर्माण इकाई का गठन
देहरादून।उत्तराखंड गठन के बाद से ही उत्तराखंड पेयजल निगम लगातार घाटे में रहा है परंतु धीरे-धीरे अब उत्तराखंड पेयजल निगम लाभ की स्थिति में आता नजर आ रहा है। पिछले 2 सालों में निगम के कार्यभार में गुणात्मक वृद्धि हुई है, जिस कारण उत्तराखंड पेयजल निगम को अधिक सेंटेंज मिलने के कारण अब निगम में वेतन व पेंशन भुगतान में बैकलॉग खत्म हो गया है। पिछले 10 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि निगम कर्मियों को प्रत्येक माह समय से वेतन व पेंशन का भुगतान हो पा रहा है।
पहले वेतन /पेंशन न मिलने के कारण निगम के सभी कर्मचारी संगठन आंदोलनरत रहते थे, जिसका दुष्परिणाम निगम की प्रगति पर पड़ता था व रोज-रोज के धरने प्रदर्शनों के कारण सरकार की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता था परंतु निगम की माली हालत सही होने से निगम के कार्यों ने गति पकड़ी है। पिछले 1 साल में पेयजल निगम द्वारा 80 से अधिक बड़ी पेयजल योजनाओं की स्वीकृति कराई गई है। जहां निगम पेयजल व सीवर के कार्यों में अपने कार्यभार को बढ़ा रहा है ,वहीं पेयजल निगम के निर्माण विंग का कार्यभार भी पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 5 गुना हो गया है।
जहां पिछले वर्षों तक अधिकतम 300 करोड़ के काम डिपॉजिट मद में निर्माण विंग द्वारा कराया जाते थे, वर्तमान में निगम द्वारा 1500 करोड़ के डिपॉजिट कार्यों का इस वित्तीय वर्ष का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद भी निगम विभिन्न माध्यमों से अपने आय को बढ़ाने के नूतन प्रयोग कर रहा है। क्षेत्रीय निर्माण इकाइयों के वर्क लोड को देखते हुए निगम प्रबंधन ने मुख्यालय में कार्यरत अभियंताओं को भी फील्ड के कामों में झोंक दिया है।
राज्य सरकार के पेयजल विभाग द्वारा निगम के मुख्यालय के अधिकारियों में से ही एक अतिरिक्त पीआईयू का गठन करते हुए एक अतिरिक्त निर्माण इकाई का गठन किया है, जिसमें मुख्यालय में कार्यरत अभियंता अपने कार्यों के साथ-साथ अन्य विभागों के डिपाजिट कार्यक्रम भी करेंगे। उक्त इकाई में परियोजना प्रबंधक के रूप में इं. लिपिका कवि व सहायक परियोजना अभियंता के रूप में इंजीनियर जयंक पांडे को दायित्व दिया गया गया है।
उत्तराखंड पेयजल निगम मुख्यालय में कार्यभार को देखते हुए अतिरिक्त अधिकारी तैनात थे ,जिस कारण प्रायः बिना काम के वेतन देने की स्थिति बनती थी ,निगम द्वारा मुख्यालय के अधिष्ठान के कर्मचारियों में से पीआईयू का गठन करके अन्य विभागों के लिए एक नजीर पेश की गई है।
सूत्रों के अनुसार मुख्यालय के अन्य खाली बैठे हुए अभियंताओं को भी अतिरिक्त पीआईयू गठन करते हुए अन्य कामों में लगाए जाने की भी योजना पर निगम विचार कर रहा है। इससे जहां एक और निगम के उत्पादकता में वृद्धि होगी , वही कर्मचारियों को समय से वेतन भी मिलेगा। निगम के कर्मचारी संगठनों द्वारा भी सचिव पेयजल और प्रबंध निदेशक द्वारा उत्पादकता में वृद्धि के इन अभिनव प्रयासों का स्वागत किया गया है।