उत्तराखंड

उत्तराखंड@25:CM धामी चिंतन शिविर में अचानक पहुंचे,सबसे पीछे बैठकर सुने अफसरों के विचार

मसूरी।मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में चल रहे चिंतन शिविर के बुधवार के समापन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अचानक पहुंच गए। सीएम ने सरदार पटेल भवन सभागार में सबसे पीछे की कुर्सी पर बैठकर अधिकारियों के विचारों को सुना।

पूरी खामोशी के साथ एक जिज्ञासु श्रोता की तरह उन्होंने नौकरशाहों के व्याख्यानों और विकास के एजेंडे पर उनके बीच की चर्चा को सुना। सत्र का समापन होने पर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के पास पहुंचकर बताया कि शिविर में राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं। इस पर सीएम ने कहा कि ये सुझाव सिर्फ सुझाव तक सीमित नहीं रहने चाहिए। इनका एक रोडमैप तैयार होना चाहिए। उन्होंने मुख्य सचिव को चिंतन शिविर में नौकरशाहों और विशेषज्ञों के सुझावों की रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष रखने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने सीएम को आश्वस्त किया कि सुझावों को जमीन पर कैसे उतारा जाएगा, इस पर भी मंथन हो रहा है।

शिविर के दूसरे दिन तीर्थाटन को लेकर भी चर्चा हुई। सचिव सचिन कुर्वे ने पर्यटन प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड तीर्थाटन में हिमाचल से आगे लेकिन साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में पीछे है। उत्तराखंड को साहसिक पर्यटन में और सुधार करने की जरूरत है। मसूरी में चल रहे उत्तराखंड चिंतन शिविर के दूसरे दिन पर्यटन में यह बात कही। शिविर में पर्यटन, नागरिक उड्डयन, वित्त प्रबंधन विषय पर मंथन किया गया। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि राज्य में पर्यटन सालाना 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हालांकि उत्तराखंड में अधिकांश पर्यटक धार्मिक पर्यटन के लिए आते हैं। जबकि हिमाचल विदेशी पर्यटकों व साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड से आगे है।

वहीं, उन्होंने बताया कि चारधाम यात्रा मार्गों पर 52 नए शौचालय स्वीकृत किए गए हैं। कहा कि राज्य में बर्ड वाचिंग क्षेत्र में पर्यटन विकास की संभावनाएं हैं। आसन बैराज इस लिहाज से उभरता हुआ डेस्टिनेशन है। औली के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। आईडीपीएल ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर का कन्वेंशन सेंटर बनाने के लिए भूमि पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। चारधाम में शीतकालीन पर्यटन को विकसित करने के लिए नए स्पॉट विकसित किए जा रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। चंपावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा में पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

बताया गया कि कद्दूखाल से सुरकंडा मंदिर तक रोपवे शुरू होने से 32 प्रतिशत श्रद्धालु बढ़े हैं। देहरादून से मसूरी, यमुनोत्री के लिए भी रोपवे प्रस्तावित है। सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड रोपवे का शिलान्यास हो चुका है। राज्य में होमस्टे नीति गेम चेंजर का काम कर रही है। इसके सुखद नतीजे मिले हैं। पर्यटन क्षेत्रों की ब्रांडिंग के लिए असाइनमेंट आधारित एजेंसी को अधिकृत किया जा रहा है। एंगलिंग राज्य में नए क्षेत्र के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र में चंपावत में काफी संभावना है।

वहीं, अपर सचिव नागरिक उड्डयन सी रविशंकर ने बताया कि प्रदेश में हवाई कनेक्टिविटी तेजी से आगे बढ़ रही है। उत्तराखंड उन गिने चुने राज्यों में शामिल है, जहां लोग हेली सेवा का काफी ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके पीछे चारधाम यात्रा भी एक वजह है। हालांकि राज्य को ट्रेवल अनुभव के क्षेत्र में सुधार करने की आवश्यकता है। सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने पब्लिक फाइनेंस पालिसी एंड मैनेजमेंट विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि राज्य को अपने वित्तीय संसाधनों को बढ़ाना होगा। वर्तमान में 50 प्रतिशत वैट और जीएसटी से राजस्व प्राप्त हो रहा है। जबकि 10 प्रतिशत स्टांप शुल्क से मिलता है। बाकी 40 प्रतिशत विभागों से प्राप्त होता है। विभागों को आय बढ़ाने की दिशा में ठोस काम करने की जरूरत है। उन्होंने खनन, आबकारी और वन विभाग को राजस्व के लिहाज से महत्वपूर्ण बताया।

मुख्यमंत्री के आने का कोई कार्यक्रम नहीं था। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार अकादमी के सरदार पटेल सभागार में नौकरशाह बारी-बारी से अपने-अपने विभागों का प्रस्तुतिकरण दे रहे थे। विशेषज्ञ और अधिकारियों के बीच जब संवाद और मंथन चरम पर था, तभी मुख्यमंत्री की एंट्री हुई। सीएम के अचानक शिविर में आने से सब चौंक गए। सीधे मंच की ओर जाने के बजाय सीएम सबसे पिछली पंक्ति की उस सीट पर बैठे जहां नौजवान आईएएस आशीष चौहान और वंदना सिंह बैठे थे।

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