उत्तराखंड

विद्युत रीडिग व बिल वितरण व्यवस्था को ठेके पर दिए जाने पर जनता ने आपत्ति जताई

कोटद्वार। विद्युत की प्रस्तावित दरों पर आमजन की राय के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की ओर से मंगलवार को जनसुनवाई की गई। आमजन ने स्पष्ट कहा कि ऊर्जा प्रदेश में प्रतिवर्ष विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। एकस्वर में विद्युत दरों को कम करने की मांग की गई। इस दौरान आयोग ने स्पष्ट किया कि प्रदेश साठ प्रतिशत बिजली बाहरी राज्यों से ले रहा है। ऐसे में व्यय और उपलब्धता के आधार पर विद्युत दरें निर्धारित की जाएंगी।

अनिल कुमार बडोला ने कहा कि लाक डाउन में जब आमजन के पास आय का कोई जरिया नहीं था, ऊर्जा निगम द्वारा उस दौर में भी विद्युत बिलों की वसूली के लिए आमजन को प्रताड़ित किया जा रहा था। कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में गांव के गांव खाली हो गए हैं, बावजूद इसके निगम निर्जन गांवों में बिल भेज रहा है। सुनवाई के दौरान कई वक्ताओं ने विद्युत रीडिग व बिल वितरण व्यवस्था को ठेके पर दिए जाने पर आपत्ति जताई। कार्यक्रम में आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला ने कहा कि अभी यह तय नहीं है कि विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि आयोग व्यय और उपलब्धता को देख विद्युत दरों का निर्धारण करेगा। तकनीकि सदस्य मनोज कुमार जैन ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश 60 प्रतिशत बिजली बाहरी राज्यों से खरीद रहा है। विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी का भी यही प्रमुख कारण है।

कोटद्वार के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम में आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला व तकनीकि सदस्य मनोज कुमार जैन में आमजन की राय सुनी। इस दौरान 28 व्यक्तियों ने अपनी बात रखी। उत्तराखंड स्टील एसोसिएशन के सदस्य पवन अग्रवाल ने तथ्यों के साथ अपनी बात रखते हुए कहा कि उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश की अपेक्षा विद्युत दरें अधिक हैं। ऐसे में किस तरह प्रदेश में उद्योग पनप पाएंगे, यह ऊर्जा निगम को भी सोचना चाहिए। उनका कहना था कि उत्तराखंड में निगम ने विद्युत को आय का जरिया बना दिया है, जबकि विद्युत आमजन की जरूरत है व आमजन की सुविधा के अनुरूप ही दरें तय होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्यमियों के साथ ही आमजन भी निगम के बिलों की मार झेल रहा है। यही स्थिति तब है, जब प्रदेश स्वयं विद्युत उत्पादन कर रहा है। उन्होंने प्रदेश की स्थिति के अनुरूप उत्तर प्रदेश की विद्युत दरों के मुकाबले उत्तराखंड में दरों को कम करने की मांग रखी।

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