अंतर्राष्ट्रीय

महंगाई की मार से यूरोप बेहाल

यूरोप।यूरोप के देश बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रही हैं। अब एक बार फिर यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने अपनी ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी करने का एलान किया है। जिसके बाद मुख्य पुनर्वित्त संचालन पर ब्याज दर बढ़कर 3.75 प्रतिशत, सीमांत ऋण सुविधा पर ब्याज दर बढ़कर 4 प्रतिशत और जमा रकम पर ब्याज दर 3.25 प्रतिशत हो जाएगी। यह बढ़ी हुई दर 10 मई 2023 से लागू होगी।

यूरोप बीते कई महीनों से बढ़ती महंगाई से परेशान

यूक्रेन युद्ध के बाद से ही ऊर्जा की कीमतों में उछाल आया, जिसका सीधा असर यूरोप के देशों में महंगाई बढ़ने के तौर पर दिखाई दिया। हाल के महीनों में यूरोप में ऊर्जा कीमतों में कमी आई है लेकिन खाने-पीने की चीजों के दाम अभी भी बढ़ रहे हैं, जिससे महंगाई को काबू करना यूरोप की सरकारों के लिए मुश्किल हो रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूरोप में महंगाई दर में फरवरी के मुकाबले थोड़ी गिरावट आई है। फरवरी में यूरोप में महंगाई दर 8.5 प्रतिशत थी। मार्च में यह गिरकर 6.9 प्रतिशत पर आ गई थी लेकिन अप्रैल में फिर से इसमें बढ़ोतरी हुई है और अप्रैल में यह 7 प्रतिशत तक पहुंच गई। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने कहा है कि ‘भविष्य में ब्याज दरों की कीमतें इस बात पर निर्भर करती हैं कि अर्थव्यवस्था और महंगाई की क्या स्थिति रहती है। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि ब्याज दर बढ़ाने का महंगाई पर असर पड़ रहा है या नहीं।’

महंगाई काबू करने के लिए क्यों बढ़ाई जाती हैं ब्याज दर

महंगाई काबू करने के लिए केंद्रीय बैंकों के पास जो सबसे अहम हथियार है, वो है ब्याज दरों में बढ़ोतरी। दरअसल ब्याज दर में बढ़ोतरी करने से यह माना जाता है कि जब नागरिकों के ऋण की किस्तें बढ़ जाएंगी तो उनके पास खर्च करने के लिए पैसा कम बचेगा। इससे लोग कम खरीददारी करेंगे और उत्पादों की बिक्री कम होगी। जब उत्पादों की बिक्री कम होगी तो उत्पादक अपने सामान की कीमत कम करेंगे। इस तरह ब्याज दर बढ़ाने का परोक्ष संबंध महंगाई काबू करना है।

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