उत्तराखंड

उत्तराखंड पेयजल निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे मे?

देहरादून।उत्तराखंड पेयजल निगम की कार्यप्रणाली हमेशा सवालों के घेरे में रहती है।चाहे वो केंद्र की योजनाओं के प्रति लापरवाही हो या अधिकारियों के डीपीसी के मामलों में।वर्तमान समय में उत्तराखंड पेयजल निगम के पास केंद्र की दो बड़ी योजनाओं(नमामि गंगे और जल जीवन मिशन) की जिम्मेदारी है।लेकिन निगम इन योजनाओं के प्रति गंभीर नहीं है।निगम में इन दो योजनाओं के कई डिवीजनों पर अभियंताओं की तैनाती नहीं कर पा रहा है।हाल ही में उत्तराखंड पेयजल निगम में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। एक अभियंता दो जिलों के अधीक्षण अभियंता के साथ जीएम निर्माण विंग(कुमाऊं) की जिम्मेदारी संभाल रहा है।इस अभियंता के पास हल्द्वानी और उधमसिंहनगर के अधीक्षण अभियंता की जिम्मेदारी के साथ-साथ जीएम निर्माण विंग( कुमाऊं यानी 6 जिलों की जिम्मेदारी है।अब सवाल यह उठता है कि निगम इन हल्द्वानी और उधमसिंहनगर में अधीक्षण अभियंताओं की तैनाती क्यों नहीं कर पा रहा है।निगम में अधिशासी अभियंता की seniorty के हिसाब से अधीक्षण अभियंता के पद पर आखिर क्यों डीपीसी नहीं कर रहा है।जिससे इन दो जिलों में विकास कार्यों में तेजी आए।ऐसा ही मामला नमामि गंगे गोपेश्वर डिवीजन का है यहाँ भी निगम ने केंद्र की इस परियोजना के डिवीजन पर किसी परियोजना प्रबंधक की तैनाती नही की है।

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