उत्तराखंड

तबादलों में सेटिंग-गेटिंग का खेल कब होगा बंद.?, जुगाड़ में माहिर अधिकारी-कर्मचारी तबादला एक्ट को ठेंगा दिखाकर पा रहे मनचाही पोस्टिंग

देहरादून। उत्तराखंड में राज्य गठन से अब तक एक साफ सुथरी मजबूत तबादला नीति नहीं बन पाई है। वर्तमान में तबादला नीति तो है लेकिन वह लचर दिखाई देती है। तबादला नीति के होते हुए भी सेटिंग-गेटिंग का खेल जारी है। संख्या में अधिकारी प्रयास हर सरकार ने किये लेकिन प्रयासों को सही अंजाम तक कोई भी सरकार नहीं पहुंचा पाई। यही कारण है कि उत्तराखंड में तबादला एक उधोग बनकर रह गया है। जिसके पास पैंसा और सेटिंग गेटिंग व मौज कर रहा है। जिसका कोई सुनने वाला नहीं है वह सरकार-शासन की नीतियों को कोस रहा है।

राज्य के हर विभाग की कहानी तबादलों को लेकर कुछ ऐसी ही है। पेयजल निगम, जलसंस्थान, सिंचाई, उर्जा सहित कई ऐसे विभाग हैं जहां सालों से कुछ अधिकारी एक ही जिले में जमे हुए हैं। सरकार किसी की भी हो इनकी पहुंच उपर तक होती है। यह जिले की इस डिवीजन से उस डिवीजन में घूमते रहते हैं। नियमावली कहती है कि जब किसी अधिकारी-कर्मचारी का ट्रांसफर-पोस्टिंग होती है तो 3 साल से पहले दुबार ट्रांसफर नहीं हो सकता है। यही नहीं जिले से जिले में भी कभी टांसफर पोस्टिंग नहीं होता है।

उत्तराखंड में सरकारी सेवकों के लिए लागू किया गया वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 मजाक बन कर रहा गया है। सरकार दावा कर रही है कि उत्तराखं में मजबूत स्थानांतरण एक्ट लागू किया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि इस एक्ट का लेशमात्र भी पालन नहीं हो रहा है। एक्ट इतना मजबूत है कि अफसर साल भर तक मनमर्जी से कभी भी किसी को स्थानांतरित कर दे रहे हैं, जबकि स्थानांतरण एक्ट में केवल 10 जून तक ही ट्रांसफर का प्रावधान है। कई विभागों सेटिंग-गेटिंग के फार्मूले से पूरे साल स्थानांतरण का खेल खेल रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस यंत्र की आड़ लेकर बड़े पैमाने पर लेन-देन का व्यापार चल रहा है और सब कुछ मालूम होने के बाद भी सरकार आंखों में पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र की भूमिका उदा कर रही है। जिससे पात्र कार्मिकों को इसका तनिक भी लाभ नहीं मिल रहा है। एक्ट में प्राविधान है कि 10 साल दुर्गम में रहने वाले कार्मिकों को सुगम में अनिवार्य रुप से तैनाती दी जाएगी। एक्ट का हवाला देकर अपात्रों को सुगम स्थलों पर मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है और जिनका कोई सुनने वाला नहीं है वह दुर्गम में ही इंतजार कर रहे हैं।

क्या कहता है स्थानांतरण एक्ट

एक्ट के बिंदु संख्या 7 के ग के अनुसार सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरित किए जाने वाले कार्मिकों को दुर्गम क्षेत्र में तैनाती संबंधी अवधि पूर्ण करने पर उन्हें अनिवार्य रूप से पुनः सुगम क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाएगा और दुर्गम स्थान से अवमुक्त होने की तिथि का स्पष्ट उल्लेख उनके आदेष में भी किया जाएगा।

एक्ट में केवल इन्हें दी गई है छूट

1. एक्ट के बिंदु 7 के घ में भी छूट का स्पष्ट उल्लेख है कि वरिष्ठ कार्मिक स्थानान्तरण में छूट दी जाएगी
2. ऐसे कार्मिक जो दुर्गम क्षेत्र में पूर्व में ही न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हों।
3. धारा 3 के अधीन गंभीर रुप से रोगग्रस्त या विकलांगता की श्रेणी में आने वाले कार्मिक, जो कि सक्षक प्राधिकारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करे।
4. ऐसे पति-पत्नी जिका इकलौता पुत्र-पुत्री विकलांगता की परभिाषा में सम्मिलित हो।

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