उत्तराखंड

उत्तराखंड के इस विभाग के MD की कार्यशैली विवादों में, विजिलेंस जांच का भी दबाव बढ़ा

देहरादून।पंतनगर विश्वविद्यालय और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ऊर्जा निगम की भर्ती में धांधली को लेकर STF ने यूपीसीएल मुख्यालय को भी जांच के दायरे में ले लिया है ।यहां से चयनित AE-JE के आवासीय पते के साथ मोबाइल नंबर भी ले गए हैं। भर्ती के साथ-साथ इंटरव्यू कमेटी के काले कारनामों की STF जांच कर रही है। चर्चा है कि AE-JE के interview क में प्रबंधन निदेशक पूरे समय बैठे ही नहीं।सूत्रों का कहना है कि यादव के खिलाफ विजिलेंस जांच का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। यादव की नियुक्ति पूर्व ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने की थी।

यूपीसीएल में 2021 में पंतनगर विश्वविद्यालय से 68 सहायक अभियंता और चयन आयोग से डेढ़ सौ के करीब 150 JE चयनित होकर आए थे ।इन सब भर्तियों पर सवाल उठे हैं इस परीक्षा में कई ऐसे इंजीनियर भी चयनित हुए हैं ।जो UJVNL की परीक्षा में पास भी नहीं हो पाए थे पर यूपीसीएल की परीक्षा में टॉप कर गए। भर्ती घोटाले में जेल गए कई आरोपियों की पत्नी भी UPCL और UJVNL में चयनित हो चुकी हैं ।इनका चयन AE से लेकर JE के पदों पर हो चुका है। इस कड़ी को जोड़ते हुए एसटीएफ की टीम ने यूपीसीएल की परीक्षा की सूची कब्जे में ली है कई अहम दस्तावेजों को भी यूपीसीएल मैनेजमेंट से लिया गया। पंतनगर यूनिवर्सिटी से चयनित होकर आए AE के इंटरव्यू को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था ।अंतिम चयन सूची में ओबीसी के टॉपर को सामान्य वर्ग की सूची में शामिल नहीं किए जाने के आरोप लगे थे ।चयनित अभ्यर्थियों ने जांच की मांग की थी इंटरव्यू परीक्षा को लेकर सवाल उठे थे इधर ऊर्जा निगम की हर भर्ती विवादों में ही रही। कभी गाजियाबाद की फर्म में परीक्षा कराई गई थी।तब भी सवालों के घेरे में आ गया था। ऊर्जा निगम में इंटरव्यू कमेटी के गठन को लेकर अब तक प्रबंध निर्देशक पर जितने आरोप लगे हैं एसटीएफ गंभीरता के साथ उनकी तह  तक पहुंचने  की कोशिश कर रही है। इनमें सबसे बड़ी धांधली इंटरव्यू कमेटी के गठन में की गई। प्रबंध निदेशक ने कमेटी में अपनी मर्जी के लोगों को शामिल किया।

एसटीएफ जांच के लिए प्रमुख बिंदु

इंटरव्यू कमेटी में जब एससी मेंबर के रूप में मुख्य अभियंता सतीश शाह शामिल थे तो ओएनजीसी के रिटायर्ड अधिकारी सीपी शर्मा को बतौर मेंबर किस नियम के तहत रखा गया

आरक्षित वर्ग के प्रति सहानुभूति दिखाने की तो अनुसूचित जाति का सदस्य क्यों नहीं रखा गया

जिस वर्ग से ओबीसी से MD आता है उसका दूसरा मेंबर क्यों नहीं रखा गया

बाह्य एक्सपर्ट के रूप में पिटबुल और जल विद्युत निगम के अभियंता को क्यों नहीं रखा गया

सीधी भर्ती के सहायक लेखाकार की परीक्षा निरस्त क्यों नहीं की गई?

क्रिएट कंपनी के साथ मिलकर उपभोक्ताओं को 72 करोड़ का चूना लगाने वाली वालों की जांच भी होनी चाहिए

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