उत्तराखंड में विधायकों के भितरघात के आरोपों से भाजपा असहज, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नसीहत के बाद भी बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं विधायक
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद से भाजपा के वर्तमान विधायकों के सामने आ रहे भितरघात के आरोपों से पार्टी संगठन असहज दिख रहा है। पार्टी ने एकाध मामले में जांच की बात कही, लेकिन फिलहाल वह किसी तरह की सख्ती से परहेज कर रही है। ऐसे में विपक्ष कांग्रेस ने भाजपा को निशाने पर लेने में देर नहीं लगाई। यद्यपि, पार्टी के प्रांतीय नेता और यहां तक कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बार-बार नसीहत दे रहे हैं कि यदि किसी की कोई नाराजगी है तो वह इसे पार्टी फोरम में रखे। सार्वजनिक रूप से ऐसी कोई बयानबाजी न हो, जिससे पार्टी की छवि पर असर पड़े।
14 फरवरी को मतदान होने के बाद सभी प्रत्याशियों के भाग्य का पिटारा ईवीएम में बंद हो चुका है। इसके नतीजे आने में अभी वक्त है, लेकिन इससे पहले ही भाजपा में विधायकों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। विशेषकर, एक मंत्री और चार विधायक अपनी-अपनी सीटों पर भितरघात के आरोप लगा चुके हैं। मतदान संपन्न होने के तुरंत बाद यह सिलसिला लक्सर से पार्टी प्रत्याशी और विधायक संजय गुप्ता से शुरू हुआ। गुप्ता ने तो प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था। इसके बाद विधायक कैलाश गहतौड़ी, हरभजन सिंह चीमा और केदार सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने अपनी-अपनी सीटों पर भितरघात के लिए किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। गुप्ता व गहतौड़ी के बयानों के बाद पार्टी ने इन्हें संज्ञान लेने और साक्ष्य जुटाने की बात कही थी।
10 मार्च को होने वाली मतगणना से पहले पार्टी में जिस तरह का माहौल पनप रहा है, उससे पार्टी संगठन के सामने अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। उसे न निगलते बन रहा न उगलते। यद्यपि, जो विधायक भितरघात की बात उठा रहे, वे यह भी जोड़ते हैं कि चुनाव में उनकी जीत पक्की है। अलबत्ता, जीत का अंतर कम हो रहा है। इस परिदृष्य के बीच कौन बाजी मारेगा और कौन मन मसोसकर रहेगा, ये तो ईवीएम खुलने के बाद ही साफ होगा, लेकिन अनुशासन के जानी जाने वाली पार्टी फिलहाल सख्ती के मूड में नहीं दिख रही। ऐसे में पार्टी विपक्ष विशेषकर कांग्रेस के निशाने पर आई है और वह भाजपा को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूक रही। वह यह तंज भी कसने लगी है कि इस सबसे भाजपा नेताओं की निराशा सामने आ रही है। यद्यपि, इस सबको देखते हुए भाजपा के प्रांतीय नेताओं ने अपने तरीके से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि कोई भी सार्वजनिक रूप से ऐसी बयानबाजी न करे, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा, मतदान के बाद जिस तरह के विषय आ रहे हैं, वे अनुशासनहीनता की श्रेणी में आते हैं। यह अच्छी परंपरा नहीं है। भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है और पार्टी के भीतर अपनी बात रखने के लिए कई मंच हैं। यदि किसी को कोई शिकायत अथवा कोई विषय है तो वह इसे पार्टी फोरम में रख सकता है।