उत्तराखंड

लोकसभा अध्यक्ष देव संस्कृति विश्वविधालय दीक्षांत समारोह में पहुंचे,कही ये बात

हरिद्वार।हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में छठा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय टॉपर उर्वशी शर्मा, वंदना आर्य, चित्रा कश्यप, रूपम, आकर्षित मौर्य को उपाधि प्रदान की।

वहीं, उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय में शिक्षा के साथ संस्कार भी दिया जाता है। यहां से शिक्षित विद्यार्थी जहां भी जाएं, दुखियों का सहारा बनें। अंधेरे के लिए सवेरा बनें। उन्होंने कहा कि यहां केवल आध्यात्मिक और आधुनिक शिक्षा ही नहीं जीवन प्रबंधन भी सिखाया जाता है।

कहा कि आज भारत दमदार ढंग से दुनिया में नेतृत्व कर रहा है। दुनिया को नई दिशा देने का काम कर रहा है। इसमें युवाओं की बौद्धिक क्षमता की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि भौतिकवाद में रहने वाले दुनिया के लोग भी शांतिकुंज जैसे स्थानों पर शांति प्राप्त करने के लिए आते हैं। डेमोक्रेसी और डेमोग्राफी भारत की सबसे बड़ी शक्ति है। भारत के पास जीवंत और सशक्त लोकतंत्र है। दुनिया में सबसे अधिक कार्यशील जनसंख्या है। जिससे विज्ञान और आध्यात्म के बल पर भारत दुनिया का भी नेतृत्व में करेगा।

कहा कि यहां व्यक्ति और चरित्र निर्माण भी होता है। दो दशक में विश्वविद्यालय की ख्याति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी है। दुनिया में जो कुछ भी परिवर्तन हो रहा है उसे देखते हुए भारत ने नई दिशा दुनिया को दी है। उन्होंने विद्यार्थियों से यहां से अर्जित ज्ञान के प्रकाश को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का आह्वान किया।

समारोह के अध्यक्ष कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि देसंविवि एकमात्र विवि है। जहां ज्ञानदीक्षा समारोह होता है। जिसके माध्यम से युवाओं को चरित्रवान एवं निष्ठावान छात्र बनने की प्रतिज्ञा कराई जाती है। उन्होंने कहा कि यहां से उत्तीर्ण होकर नए जीवन में प्रवेश करने वाले छात्र-छात्राएं विवि से प्राप्त गुणों का अन्यों में भी प्रसार करेंगे।

हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में छठा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय टॉपर उर्वशी शर्मा, वंदना आर्य, चित्रा कश्यप, रूपम, आकर्षित मौर्य को उपाधि प्रदान की।

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