उत्तराखंड

उत्तराखंड की नई सरकार ने पूर्व सीएमओ डॉ बीसी रमोला के सुझाव पर किया अमल तो पांच बड़ी समस्याओं का हो सकता है समाधान

देहरादून। देहरादून जिले के पूर्व सीएमओ डॉ बीसी रमोला ने राज्य की नई सरकार के लिए एक सुझाव पत्र तैयार किया है। इस सुझाव पत्र में उत्तराखण्ड में सीमा की चौकसी, पलायन का रोकने, नौजवानों को रोजगाार, भूस्खलन रोकने, कृषि उत्पादन में वृधि एवं मैदानी क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर को बढानें हेतु कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गयेे हैं। सरकार ने अगर इन सुझावों पर अमल किया तो राज्य की पांच बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

पूर्व सीएमओ डॉ बीसी रमोला के अुनसार उत्तराखण्ड राज्य चीन की सीमा से लगा हुआ है और पूरे देश को सीमावर्ती भूभागों से विदेशी धुसपैठ की आशंका बलवती होती जा रही है। ग्रामीणों और चरवाहों की आवजाही से पगडंडियों को दूर से ही देखकर दुश्मन सचेत हो जाया करता था किन्तु पलायन के बाद पगडंडियां गायब ही हो गयीं है। जिससे से दुश्मन/उग्रवादियों की घुसपैठ की संभावना रहती है। पलायन से पर्वती क्षत्रों के खेत वीरान हो गये है। खेतों में हल चलने से उत्पादन के साथ ही साथ बरसात का पानी धीरे धीरे जमीन में समाता जाता था। जिससे भूस्खलन भी कम होते थे और जलश्रोतों में हमेंसा पानी बना रहता था तथा मैदानी क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर भी बेहतर रहता था।

पलायन से उक्त पर्यावरण जलवायु परिवर्तन होने से भूस्खलन भी अधिक होने लगें हैं और जलश्रोंत भी सूखने लगें है एवं मैदानी क्षेत्रों का भूमिगत जलस्तर तो और भी प्रभावित हो गया है। अतः सुझाव है कि राज्य आपदा राहत बल एसडीआरएफ की तर्ज पर एक राजकीय पर्यावरण सुरक्षा फोर्स का गठन किया जाये और इनके मुख्यालय पर्वतीय क्षत्रों में एसएसबी की तरह ही रखे जायें ताकि उन क्षत्रों में एक उपनगर विकसित हो। इस राजकीय पर्यावरण बल को वृक्षारोपण, कृषि, वानिकी, औषधीय पौधों का वैज्ञानिक रूप से उत्पादन,पशुपालन बकरी, भेड, पर्यटन, तीर्थाटन इत्यादि कार्यों हेतु ही गठित किया जायें। आजकल छोटें पोर्टेबिल यत्रों से खेतों की बैलों से भी बेहतर जुतायी/बुवायी की जा सकती है। इन्हें सैनिकों की तरह प्रशिक्षित कर आपदा के समय प्रदेश या देश विदेश में व विदेशी हमले के समय भी देश की रक्षा में उपयोग किया जा सकता है।

इससे सेना, अर्धसेना, पुलिस में भर्ती से वंचित बेरोजगार नौजवानों को रोजगार तो मिलेगा ही सीमा पर दूर से ही पगडंडियों के आबाद होने से दुश्मन भी सचेत हो जायेंगा। इस बल के माध्यम से पलायन को रोकने, नौजवानों को रोजगाार के बेहतर अवसर, भूस्खलन रोकने, कृषि उत्पादन में वृधि एवं मैदानी क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर को बढानें में राज्य की अहम भूमिका के फलस्वरूप केन्द्र सरकार से अतिरिक्त बजट की मांग कर और भी अपेक्षायें की जा सकती है। प्रयोग के रूप में इसे पौडी एवं अल्मोडा जनपदों में जहॉ सर्वाधिक पलायन हो चुका है शुरू किया जा सकता है। डॉ रमोला के मुताबिक सरकार ने अगर इन सुझावों पर अमल किया तो राज्य की पांच बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *