उत्तराखंड

उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संगठन ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, ये है कारण

देहरादून।उपरोक्त विषय के सम्बन्ध मे सादर निवेदन करना है कि दिनांक १९ जून २०२० को आपकी अध्यक्षता मे पेयजल विभाग की समीक्षा की गई जिसका कार्यवृत्त सचिव पेयजल एवं स्वच्छता उत्तराखंड शासन देहरादून द्वारा अपने पत्रांक १४१/जे०जे०एम०-२१५/२०२०-२१ दिनांक २६.१२.२०२० द्वारा जारी किया गया है, मे स्पष्ट उल्लेख है कि माननीय मुख्य मंत्री जी की बैठक मे मुख्य सचिव महोदय द्वारा विचार व्यक्त किया कि समय से वेतन/पैंशन/ग्रेच्युटी न मिलने के कारण कार्मिक हतोत्साहित होते हैं सचिव पेयजल द्वारा अनुरोध किया गया कि उत्तराखंड पेयजल निगम एवं उत्तराखंड जल संस्थान को शासन द्वारा प्रशासनिक व्ययों की धन राशि अनुदान के रूप मे दी जाए ,मान्यवर यह भी अवगत कराना है कि पडोसी राज्य हिमाचल प्रदेश ,जम्मू कश्मीर, हरियाणा,पंजाब,राजस्थान इत्यादि सहित देश के अन्य पर्वतीय राज्यों मे जलापूर्ति एवं सीवरेज व्यवस्था के संचालन हेतु एक ही राजकीय विभाग गठित है, महोदय वर्तमान मे उत्तराखण्ड जल संस्थान एवं पेयजल निगम द्वारा जल जीवन मिशन, नमामि गंगे, विश्व बैंक पोषित पेयजल योजनाएं इत्यादि केन्द्र पोषित अति महत्व पूर्ण किए जाने वाले कार्य क्रमों के कार्य सम्पादित कराए जा रहे हैं जिसमे पेयजल निगम को सेन्टेज के रुप मे धनराशि दी जा रही है, लेकिन उत्तराखंड जल संस्थान को इससे वंचित रखा गया है, जबकि दोनो विभाग एक ही प्रवृत्ति होने के कारण एक विभाग को सेन्टेज से वंचित रखा गया है मान्यवर आपसे अनुरोध है कि यदि पेयजल निगम को जल जीवन मिशन के अन्तर्गत सेन्टेज दिया जा सकता है, तो उत्तराखंड जल संस्थान को क्यों नहीं, इससे अतिरिक्त वर्तमान में उत्तराखंड जल संस्थान की स्थिति राज्य सरकार द्वारा लिए गये निर्णयों के अनुपालन मे जल मूल्य आदि की दरों छूट दिए जाने /स्थगित किए जाने के फलस्वरूप विभाग की वित्तीय स्थिति दयनीय है मान्यवर जिसका उल्लेख निम्नप्रकार से है।

१.शासनादेश संख्या -१७२/उन्तीस/२००९-(५९पे०)/०४ देहरादून दिनांक १३फरवरी २००९द्वारा जलकर/ सीवरकर को अवशेषों सहित माफ किये जाने के फलस्वरूप जलकर/सीवरकर मद मे अवशेष धनराशि रू/२३.०० करोड। १.१-उक्त शासनादेश दिनांक १३ फरवरी २००९से जलकर/सीवरकर समाप्त किये जाने पर वर्ष २००८-०९ सेवर्ष २०२०-२१तक की कुल हानि। (वर्तमान मे लगभग रु०१५.००करोड वार्षिक) सेवा निवृत्ति लाभ ” मद मे वर्ष २०१२-१३से वर्तमान २०२०-२१ तक प्राप्त राज सहायता रू०५२.००करोड को कम करने पर शेष हानि। रू० १३०.००करोड। -रू०५२.००करोड।कुल योग रू०=७८.००करोड। २.शासनादेश संख्या -१२९६/उन्तीस(१)/२०१५-(५९पे०)/२००४ पेयजल एवं स्वच्छता अनुभाग -१ देहरादून दिनांक ३१अक्टूबर, २०१५ द्वारा राज्य के घरेलु उपभोक्ताओं को जल मूल्य एवं सीवर शुल्क की वार्षिक वृद्धि की दर १५ प्रतिशत के स्थान पर ०९ प्रतिशत एवं तथा शासनादेश संख्या -९१३/ उन्तीस /२०१६-(५९पे०)/२००४ पेयजल एवं स्वच्छता अनुभाग -१ देहरादून दिनांक ०६ जुलाई २०१६ द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं के जल मूल्य की दर १५ प्रतिशत के स्थान पर ११प्रतिशत वार्षिक किये जाने के फलस्वरूप वर्ष २००६-०७ से२०१७-१८ तक विभाग को हुई हानि। रू०७९.०० करोड। ३.शासनादेश संख्या -२६४ दिनांक ७ मार्च २०१९ द्वारा टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित परिवारों के पूर्व लम्बित जलमूल्य एवं सीवर शुल्क देयकों को माफ किये जाने के फलस्वरूप वर्ष २००६ -०७ से २०१७ १८ तक विभाग को हुई कुल हानि। रू०-१६.०० करोड। ३.१- शासनादेश संख्या -२६४ दिनांक ७ मार्च २०१९ के क्रम मे बांध प्रभावित परिवारों द्वारा भुगतान न किये जाने के फलस्वरूप वर्ष २०१८-२०१९ से २०१९-२० मे हुई कुल हानि।रू. ४.२० करोड। ४.- कोविड -१९ के क्रम मे लाक डाउन के प्रतिकूल प्रभाव से पर्यटन ईकाईयों /व्यवसायो को जल मूल्य मे राहत दिये जाने की दृष्टि से वर्, २०२०-२१ के वार्षिक जल मूल्य वृद्धि १५ प्रतिशत के स्थान पर ९प्रतिशत किये जाने के फलस्वरूप विभाग को हुई कुल हानि।

रू०-१.३० करोड। अतः आपसे अनुरोध है कि उत्तराखंड जल संस्थान की वित्तीय स्थिति को मध्य नजर रखते हुए शासन मे लम्बित रू० २०१.५० करोड का भुगतान उत्तराखंड जल संस्थान को करने की कृपा करे ताकि कर्मचारियों को वेतन,/पैंशन /ग्रेच्युटी आदि का भुगतान समयानुसार हो सके अन्यथा की स्थिति मे कर्मचारियों को आन्दोलन की कार्यवाही के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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