CM पुष्कर ने लिया ये बड़ा फैसला,ऐसा करने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड
देहरादून।चंपावत उपचुनाव से पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा फैसला लिया है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही थी।
बता दें कि, इस ड्रॉफ्ट कमेटी की पांच सदस्यीय टीम में सुप्रीम की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को चेयरमैन बनाया गया है।वहीं, ड्राफ्ट कमेटी के अन्य सदस्यों में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव IAS शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत विवाह-तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों।
सरकार बनने के बाद 24 मार्च 2022 को हुई धामी 2.0 की पहली कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि प्रदेश सरकार इस कानून को लागू करने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी, जो प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर ड्राफ्ट तैयार करेगी।राज्य मंत्रिमंडल ने इस निर्णय पर सर्वसम्मति से अपनी सहमति दर्ज कराई थी। मंत्रिमंडल की इस पहली बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उनकी सरकार ने संकल्प लिया था कि उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे।
धामी का कहना था कि, उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिए उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा पूरे भारत के लिए अहम है, इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे कानून की जरूरत है। सीएम का कहना था कि, ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लागू करने में एक कदम आगे बढ़ा दिया है।शुक्रवार को सरकार ने इसके लिए पांच सदस्यीय यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्ट कमेटी का गठन कर दिया।सीएम धामी ने इस ड्राफ्ट कमेटी को लेकर एक ट्वीट भी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित और सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने में यह कानून मददगार साबित होगा।उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां ये कानून लागू होगा।