हरिद्वार।सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र में लगातार हो रही बिजली ट्रिपिंग से उद्योगपतियों को नुकसान पहुंच रहा है। चलती मशीनें बंद होने से जहां प्रोडक्शन पर फर्क पड़ रहा है। वहीं मशीन में फंसा मैटेरियल भी खराब हो रहा है। उद्योगपति विद्युत विभाग में लगातार शिकायत दर्ज करा रहे हैं। बाउजूद इसके विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
सुएज वॉटर टेक्नोलॉजी के एचआर राजेश टामक और अभिषेक चौहान का कहना है कि ट्रिपिंग कतई नहीं होनी चाहिए। एक ट्रिपिंग होने से दोबारा मशीन चलाने में करीब दो घंटे का समय बर्बाद होता है और कई लाख रुपये का नुकसान अलग से उठाना पड़ता है। एक माह में दस से अधिक बार ट्रिपिंग हो रही है। दोनों अधिकारियों ने कहा कि ट्रिपिंग से कारखानों को बहुत नुकसान हो रहा है। इंडस्ट्री में बिजली चोरी तक नहीं होती है। विभाग पूरे साल इंडस्ट्री से कमाई करता है। यही नहीं उद्योगों से ही सब्सिडी आम नागरिकों को दी जाती ।
टिपेक पैकेजिंग के निर्वेश धीमान प्लांट हेड ने कहा कि मशीन की पीएलसी में हाईफाई सिस्टम लगे रहते हैं। एडवांस पीएलसी एवं सीएमसी और वीएफडी सिस्टम पर पावर ट्रिपिंग से जोर आता है। बिजली विभाग की तरफ से भले ही माह में एक दिन छह घंटे का पावर सप्लाई बंद रखे। उसके लिए उद्योगपति तैयार हैं। इस अवधि में उद्योगपति बिजली जाने के बाद अपना प्लान तैयार कर सकेंगे। लेकिन ट्रिपिंग बिल्कुल बंद होनी चाहिए। पॉलीमर विजन टेक्नोलॉजी के एमडी अमित त्यागी ने कहा कि एक ट्रिपिंग में इंजेक्शन मॉडलिंग मशीन, आईएसडीएम मशीन, इंजेक्शन स्ट्रान्स मशीन आदि में एक लाख से दस लाख रुपये तक का नुकसान पहुंचता है। ज्यादा समस्या प्लास्टिक की कंपनियों को उठानी पड़ रही है।
सिडकुल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के महासचिव राज अरोड़ा ने कहा कि बिजली आने के बाद दो घंटे मशीन चलाने में लगते हैं। बिजली जाने का समय निश्चित होना चाहिए, क्योंकि बड़े कारखानों को एक ट्रिपिंग से लाखों रुपये का नुकसान पहुंचता है। कर्मचारी खाली बैठ रहते हैं। कहा कि जनरेटर चलाने पर डीजल में एक यूनिट तीस रुपये की पड़ती है। उद्योगों का बजट बिगड़ता जा रहा है। इससे उद्योगपतियों में भारी रोष है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य को पावर ग्रिड पर्याप्त मिलती है। अधिकारी खुद को फायदा पहुंचाने के लिए इंडस्ट्रीज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।