लखनऊ । उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को विधान परिषद में नेता सदन नियुक्त किया गया है। विधान परिषद के प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह ने बुधवार को केशव प्रसाद मौर्य को नेता सदन नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दखल के बाद जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने नेता सदन पद से इस्तीफा दिया, उसके बाद बुधवार को स्वतंत्र की जगह केशव की ताजपोश की गई।
योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। उप मुख्यमंत्री की दौड़ में रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को जलशक्ति मंत्री बनाने के साथ विधान परिषद में नेता सदन बनाया गया। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी उच्च सदन के सदस्य है, ऐसे में उप मुख्यमंत्री के रहते हुए कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव को नेता सदन बनाना सामान्य शिष्टाचार के खिलाफ माना जा रहा था। योगी सरकार 1.0 में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को परिषद में नेता सदन बनाया गया था। पार्टी में शीर्ष स्तर पर इसको लेकर हुए मंथन के बाद स्वतंत्र देव सिंह की जगह केशव को ही नेता सदन बनाने का निर्णय लिया गया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश के बाद स्वतंत्र देव ने नेता सदन पद से इस्तीफा दिया। वहीं शीर्ष नेतृत्व के निर्णय के बाद सरकार ने केशव को नेता सदन बनाने का प्रस्ताव विधान परिषद में भेजा। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों स्वतंत्र देव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था। हालांकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति तक स्वतंत्र को ही बतौर प्रदेश अध्यक्ष काम करने के निर्देश दिए है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को विधान परिषद में नेता सदन बनाने से उनका कद बढ़ा है। विधानसभा चुनाव 2022 में सिराथू से चुनाव हारने के बाद भी केशव को उप मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने साफ संकेत दिया था कि पिछड़े वर्ग में केशव पार्टी के सबसे बड़े चेहरे है। पिछड़े वोट बैंक में पकड़ बनाए रखने के लिए पार्टी ने केशव को उच्च सदन में नेता सदन बनाया है। हालांकि विधान परिषद में भाजपा को फिलहाल 75 सदस्यों के साथ दो तिहाई बहुमत हासिल है। विपक्ष की स्थिति पार्टी के मुकाबले बहुत कमजोर है। सूत्रों के मुताबिक फिर भी उच्च सदन में सरकार का मजबूत पक्ष रखने के लिए केशव जैसे प्रखर वक्ता और रणनीतिकार की आवश्यकता थी।