उत्तराखंड

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती हुए ब्रह्मलीन,CM धामी ने जताया दुख

देहरादून।शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 वर्ष की आयु में ब्रह्मलीन हो गए।जिसके बाद से देशभर के साथ हरिद्वार के संत समाज में शोक की लहर है। शंकराचार्य के निधन होने पर संत समाज ने इसे सनातन धर्म की बड़ी क्षति बताया है।वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने भी शोक जताया है।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने 99 वर्ष की उम्र में रविवार को नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने 99 वर्ष की उम्र में रविवार को नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली। हरियाली तीज के दिन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का 99वां जन्मदिन मनाया गया। उनके निधन से संत समाज में शोक की लहर है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती संत समाज के प्रेरणास्रोत और त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके निधन से सनातन धर्म को अपूरणीय क्षति हुई है। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी व आनंद पीठाघीश्वर स्वामी बालकानंद गिरी ने कहा कि सनातन धर्म व संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी रूपरूपानंद सरस्वती ने अतुलनीय योगदान दिया। उनके विचार और शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी।

द्वारिका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का हरिद्वार से काफी लगाव था। कनखल स्थित ज्ञानलोक कॉलोनी में उनका शंकराचार्य मठ है। अक्सर वह मठ में आते थे। 97 वर्ष की उम्र में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती पिछले साल हुए कुंभ में तीन अप्रैल 2021 को हरिद्वार आए और नीलधारा में गंगा आरती की। उनके निधन से संतों में शोक की लहर है। संतों ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि दी।

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