उत्तराखंड पेयजल निगम को स्थाई एमडी की दरकार, भाजपा सरकार की पंसद थे ये अधिकारी, अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो जानिए कौन बनेगा नया एमडी..?
देहरादून। उत्तराखंड पेयजल निगम में पीसीएस अधिकारी उदय राज प्रबंध निदेशक का प्रभार संभाले हुए हैं। जबकि विभागीय अधिकारी को प्रबंध निदेशक के तौर पर स्थाई नियुक्ति देने की मांग भी होती रही है और इसके लिए प्रयास भी किए जाते रहे हैं। फिलहाल अपर सचिव पेयजल की जिम्मेदारी पीसीएस अफसर उदय राज और मेहरबान सिंह बिष्ट के पास है। जबकि निगम में प्रबंध निदेशक के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी उदय राज संभाल रहे हैं।
विधानसभा की आचार संहिता से पूर्व स्थाई प्रबंध निदेशक के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दे दिए गए थे। पेयजल निगम में प्रबंध निदेशक बनने के लिए कई अधिकारी दौड़ लगाए हुए हैं और अपने-अपने स्तर पर इसके लिए पैरवी भी की जा रही है। बता दें कि, कुमाऊं चीफ एसके पंत सीनियरिटी के आधार पर इस पद के लिए महत्वपूर्ण दावेदार हैं। लेकिन इन्हें प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी मिलना फिलहाल मुश्किल दिख रहा है।
इसके अलावा सुभाष चौहान जो पेयजल निगम में निर्माण विंग के चीफ हैं। उनका नाम भी प्रबंध निदेशक की दौड़ में बना हुआ है। खबर है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर विभागीय मंत्री तक सुभाष चौहान को प्रबंध निदेशक बनाए जाने के पक्ष में थे।
तीसरा नाम एससी पंत का है जो कि मुख्यालय में चीफ की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। हालांकि इनका भी एमडी को लेकर नाम फाइनल होना मुश्किल दिख रहा है। निगम में अगला नाम एके रस्तोगी का है जो गढ़वाल चीफ है। इन को लेकर शासन प्रबंध निदेशक बनाए जाने के पक्ष में दिख रहा है। हालांकि इस मामले में विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय की सहमति काफी महत्वपूर्ण है, ऐसे में सुभाष चौहान प्रबंध निदेशक को लेकर काफी प्रबल स्थिति में दिख रही थी। लेकिन आचार सहिंता लगने के बाद अब नई सरकार ही एमडी पद पर अधिकारी का नाम तय करेगी।
पूर्व प्रबंध निदेशक भजन सिंह सबसे विवादित अधिकारियों में शुमार
उत्तराखंड का पेयजल निगम हमेशा से ही विवादों में रहा है। वित्तीय अनियमिता से लेकर कई फैसलों को लेकर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े होते रहे हैं और उनको लेकर कई तरह की चर्चाएं भी रही हैं। इसके बाद पेयजल निगम में लग्जरी गाड़ियों की खरीद से लेकर तमाम दूसरे मामलों को लेकर भी निगम सुर्खियों में रहा है। जबकि निगम में विभागीय कर्मचारी को ही एमडी बनाने को लेकर मांग होती रही है और अब चुनाव से पहले इस पर काम भी किया जा रहा है।