उत्तराखंड

सवालों के घेरे में जल संस्थान मैनेजमेंट?विभागीय कर्मचारियों के ही है टैंकर

देहरादून।उत्तराखंड राज्य गठन के बाद राजधानी देहरादून के पेयजल सिस्टम को सुधारने को सबसे अधिक बजट खर्च हुआ है। इसके बाद भी राजधानी में ही सबसे अधिक टैंकर से पानी पिलाया जा रहा है।अप्रैल,मई,जून में 3 करोड़ के टैंकर का पानी लोगों को पिलाया गया है। जबकि देहरादून में जेएनएनयूआरएम, 13वें वित्त आयोग, एडीबी, अमृत,स्वैप,जिला राज्य योजना के तहत अरबों का बजट खर्च किया जा चुका है।इसके बाद भी अप्रैल,मई,जून में किराए के 66 और 2 सरकारी टैंकर के जरिए 3 करोड़ से अधिक का पानी पिलाया गया है। इस आंकड़े पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। हालांकि जल संस्थान विभाग का तर्क है कि आप डीजल और टैंकर के रेट बढ़ गए हैं।इसका कारण ही अधिक खर्च हुआ है ।

राज्य में 5 सालों में संकटग्रस्त बस्तियां मोहल्लों की संख्या भले ही घटती जा रही है,लेकिन टैंकर से पानी पिलाने का खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है।इस समय अप्रैल,मई,जून में ही जल संस्थान ने 5.87 करोड़ का टैंकर का पानी लोगों को पिला दिया है। हर साल गर्मियों के समय राज्य की पेयजल के लिहाज से संकटग्रस्त बस्तियों मोहल्लों में टैंकर की सप्लाई की जाती है।इसके लिए शासन की ओर से बजट मुहैया कराया जाता है। इस बजट को जल संस्थान टैंकर के पानी पर बहाता है। पांच साल पहले 2018 में टैंकर पर 2.83 करोड़ रुपए खर्च होते थे जो 2019 में 3.12 करोड़ रुपए खर्च हुए।2020 में 3.65 करोड़ खर्च हुए। 2021 में चार करोड़ 12 लाख खर्च हुए। जबकि संकटग्रस्त बस्तियों की संख्या लगातार घटती चली गयी। 2018 में 287,2019 में 285,2020 में 105,2021 में 218 और 2022 में 166 पर सिमट गई है।

टैंकर के पानी पर सबसे अधिक खर्च देहरादून,नैनीताल,अल्मोड़ा, पौड़ी में हुआ है। देहरादून में 3.05करोड़,पौड़ी में 32.40लाख, रुद्रप्रयाग में 27 लाख, नैनीताल में 97 लाख,अल्मोडा 46 लाख खर्च हुए।सबसे कम टिहरी में 1.88 लाख खर्च हुए हैं और उत्तरकाशी में 7.20 हुए खर्च हुए हैं।

विभागीय कर्मचारियों के ही टैंकर

जल संस्थान में पानी के टैंकर के नाम पर बड़ा गोलमाल होता है।गर्मियों में पानी पिलाने के आंकड़ें हमेशा सवालों के घेरे में रहते है।सूत्रों के अनुसार यहाँ कई कर्मचारी नेताओं और कर्मचारियों के टैंकर प्राइवेट में चल रहे है।इन्हें अफसरों की भी पूरी शह रहती है।इसी गठजोड़ के कारण टैंकरों से सप्लाई का धंधा फलफूल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *